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बस यूँही...

वो महफिल ही क्या, जिसमें शोर नहीं वो किताब ही क्या, जिसमें पन्ने नहीं वो कलम ही क्या, जिसमें स्याही नहीं वो बातें ही क्या, जिनमें लफ्ज़ नहीं वो दिल ही क्या, जिसमें दर्द नहीं वो  आँखे ही क्या, जिनमें  आँसू नहीं वो तन्हाई ही क्या, जिसमें यादें नहीं वो पल ही क्या, जिसमें तुम नहीं

COURAGE

Wanna shine like the sun? First like it you have to burn! Wanna treat failure? Confidence and hard work is the only cure!           Wanna sail the fastest?         Then face the tempest!         Wanna conquer the fort?         The ball is always in your court! You think you have no talent? You have it but its latent! Difficulties obstruct your way? Dare to sway them away!          Travel the unexplored road,          Decode your life's code!! P.S.: This was scribbled long ago, back in school days. I was adamant on writing a sonnet, and I scribbled this 14 lines poem. I found this in a book this morning. So here it is!!

रंग अंतरंगाचे

कमाल आहे ह्या मनाची, काव ऱ्या बाव ऱ्या नजरेची. किनारा बागडणा ऱ्या स्वप्नांचा, कीडा वळवळतो आत स्फूर्तीचा. कुत्सित जर असेल मती, कूर्मासारखी होईल गती. केतकीचा सुगंध दरवळे, कैवल्यप्राप्ती साठी मन उताविळे. कोप-ताप नेहमीचेच आहे, कौशल्य माफीचे महान आहे. कंटक वाटेतले होतील दूर, क ः! जेव्हा आयुष्याचा गवसेल सूर..  

दास्तान-ए-जिंदगी

 ना ऊँचे-ऊँचे मकान है, ना कोमल-मुलायम बिस्तर है... आसमान मेरा छत है, धरती की गोद मेरा तकिया है.. पहाड़ों जैसे बुजुर्ग हैं, नदियों जैसी सहेलियाँ हैं... हवाओं के गीत हैं, चिड़ियों का संगीत है... क्षितिजों के परे मंजिल है, अरमानों के पर है... समय के पन्ने है, समंदर की स्याही है... मुसाफ़िर हूं मैं भटकता हुआ, जिंदगी मेरी एक दास्तान है...